मोहतरमा शीबा असलम फ़हमी ने दिल्ली क्षेत्र में बतौर पत्रकार/संपादक, लेखक, फेमिनिस्ट, शोधकर्ता, लिंग- प्रशिक्षक तथा साहित्यिक प्रेमी एवं विचारक के रूप में ख्याति प्राप्त की है। उन्होंने व्यापक रूप से सांस्कृतिक प्राधान्यों के माध्यम से –—-मसलन ; आधुनिक प्रजातांत्रिक राष्ट्र-राज्य में बोली जाने वाली भाषा, संस्कृति एवं खानपान –—-पहचान विकास के प्रति रचनात्मक दृष्टिकोण जैसे विषयों पर लेखन-कार्य किया है । उर्दू भाषा में प्रकाशित “दिन दुनिया” के संपादकीय परिवार में काम करते हुए एवं अल्पसंख्यकों से जुड़े मुद्दों की विवेचना करते हुए उन्होंने टेलीविजन टीकाकार के रूप में एक अलग पहचान बनाई है । उन्होंने मदरसा शिक्षा कार्यक्रम के आधुनिकीकरण के लिए भारत सरकार की केंद्रक एजेंसी, एनसीपीयूएल के लिए समन्वयक के रूप में कार्य किया है।
वे दिल्ली-स्थित शाहजहांनाबाद के प्राचीन शहर में गंगा-जमुनी तहज़ीब-आधारित उर्दू साहित्यिक संस्कृति प्रोन्नत करने हेतु अदबी नशिस्त के तहत गज़ल-गायन, कविता-पाठ, मुशायरा, किताबी तब्सीरा,दास्ताँगोई एवं संगीत कार्यक्रमों का आयोजन करती रहीं है। उनके अकादमिक शोधों में तुर्की, ईरान, उज़्बेकिस्तान एवं मध्य एशिया के शेष क्षेत्रों की समृद्ध संस्कृति की गहन पैठ झलकती है । वर्तमान में, वे दिल्ली-स्थित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के सीपीएस संस्थान से “भारत में मुस्लिम महिलाओं के सामाजिक आंदोलन” विषय पर डाॅक्ट्रल शोध कर रहीं है ।